Monday, February 25, 2008


मां तुम कहां हो
मां मुझे तेरा चेहरा याद आता है
वो तेरा सीने से लगाना,
आंचल में सुलाना याद आता है।
क्यों तुम मुझसे दूर गई,
किस बात पर तुम रूठी हो,
मैं तो झट से हंस देता था।
पर तुम तो
अब तक रूठी हो।
रोता है हर पल दिल मेरा,
तेरे खो जाने के बाद,
गिरते हैं हर लम्हा आंसू ,
तेरे सो जाने के बाद।
मां तेरी वो प्यारी सी लोरी ,
अब तक दिल में भीनी है।
इस दुनिया में न कुछ अपना,
सब पत्थर दिल बसते हैं,
एक तू ही सत्य की मूरत थी,
तू भी तो अब खोई है।
आ जाओ न अब सताओ,
दिल सहम सा जाता है,
अंधेरी सी रात में
मां तेरा चेहरा नजर आता है।
आ जाओ बस एक बार मां
अब ना तुम्हें सताउंगा,
चाहे निकले
जान मेरी अब ना तुम्हें रूलाउंगा।
आ जाओ ना मां तुम,
मेरा दम निकल सा जाता है।
हर लम्हा इसी तरह ,
मां मुझे तेरा चेहरा याद आता है।
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वो बूढ़ी सी अम्मा
गोरी से पीली
पीली से काली हो गई हैं अम्मा
इक दिन मैंने देखा
सचमुच बूढ़ी हो गई है अम्मा।
कुछ बादल बेटे ने लूटे
कुछ हरियाली बेटी ने
एक नदी थी
कहां खो गई रेती हो गई हैं अम्मा
देख लिया है सोना चांदी
जब से उसके बक्से में
तब से बेटों की नजरों
अच्छी हो गई हैं अम्मा।
कल तक अम्मा अम्मा कहते
फिरते थे जिसके पीछे
आज उन्हीं बच्चों के आगे
बच्ची हो गई है अम्मा।
घर के हर इक फर्द की आँखों में
दौलत का चश्मा हैं
सबको दिखता वक्त कीमती
सस्ती हो गई अम्मा।
बोझ समझते थे सब
भारी लगती थी लेकिन जब से
अपने सर का साया समझा
हल्की हो गई अम्मा।
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जरूरत तुम्हारी है
जम गयी है ओस गुलाब की पत्ती पर,
समां गई है तेरी याद इस दिल में ,
बिखरने लगे है यादों के पन्ने
तेरी प्यार की हवा से।
गिरने लगे है अश्क,
नम हो गई यादों की किताब,
सिसक रहा है हर लफ्ज ,जिसमें
समाई हैं ,जुदाई।
थम गया है सागर
खाने लगी है हवा कोने कोने से,
पत्थर हो गई है, साहिल की रेत
पानी से बिछड़कर।
सिमट-सा रहा है आसमां
बरस रहें है तारें तेजी से ज़मीं की ओर,
गले मिल रहे चांद और सूरज
एक लंबे अरसे के बाद।
बदल सकती है सारी कायनात,
मेरी इस नज्म की तरह ,
नहीं बदल सकता तो सिर्फ मेरा प्यार
जो है तुम्हारे लिए।
आ गया है प्यार का दिन ,
आ जाओ अब तुम भी ,
मेरी टूटती हर एक सांस को
जरूरत तुम्हारी है।
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वह टूटा पुल।
वह संकरा सा पुल अब भी टूटा है
अब भी लोग वहां से गिरते हैं।
अब भी लोग वहां मरते हैं।
अब भी बांटे जाते हैं
वीरता पुरस्कार - मरनें वालों
को बचाने में।
पर वह संकरा सा पुल अब भी टूटा है।
अस्त हो सकता है सूरज,
डूब सकता है चांद हमेशा के लिए
पर टूटा है और टूटा ही रहेगा
वह संकरा सा पुल।
बदल चुके कई सत्ताघारी,
शहीद हो चुके कई लोग
पर नहीं बदली तो हालत
उस संकरे पुल की ।
वह संकरा सा पुल अब भी टूटा है।
बड़े बड़े वादों से नाता है
उस पुल का।
अब तो कांप सी जाती है वादों
के भार से पुल की दीवारें।
टूट चुके वे सभी वादे जो जोड़ते थे
पुल को, आ गयी है उनमें दरारें
बिल्कुल पुल की तरह।
बदलेगी अभी अनेकों सरकारें,
बनेगी अभी एक और इबारत, नये वादों की
पर, वह संकरा सा पुल अब भी टूटा है
और सदा टूटा ही रहेगा
वह टूटा, संकरा पुल।
...................
वह मुझे मां कहता है।
वह अब भी मुझे मां कहता है।
सताता हैं रुलाता है
कभी कभी हाथ उठाता है पर
है वह मुझे मां कहता है।
मेरी बहू भी मुझे मां कहती हैं
उस सीढ़ी को देखो,मेरे पैर के
इस जख्म को देखो,
मेरी बहू मुझे
उस सीढ़ी से अक्सर गिराती है।
पर हाँ,वह मुझे मां कहती है।
मेरा छोटू भी बढिया हैं,जो मुझको
दादी मां कहता है,
सिखाया था ,कभी मां कहना उसको
अब वह मुझे डायन कहता हैं
पर हाँ
कभी कभी गलती सें
वह अब भी मुझे मां कहता है।
मेरी गुड़िया रानी भी हैं ,जो मुझको
दादी मां कहती है
हो गई हैं अब कुछ समझदार
इसलिए बुढ़िया कहती हैं,
लेकिन हाँ
वह अब भी मुझे मां कहती है।
यही हैं मेरा छोटा सा संसार
जो रोज गिराता हैं
मेरे आंसू ,
रोज रुलाता हैं खून के आंसू
पर मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि वे सभी
मुझे मां कहते है।
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मैं और मेरा अलाव
सुनसान घर के सुनसान कमरे में
रहते है सिर्फ दो तन्हा लोग
इक में और इक मेरा अलाव।
जलते है दोनों
मैं जलता हूं तन्हाई में
तो वो जलता है सर्द हवाओं में!
करते है बातें कभी वफा की तो
कभी बेवफाई की।
कहता हैं तन्हा अलाव बड़ी मतलबी
है ये दुनिया, छोड़ जाती है
सर्द मौसम के बाद।
मैं कहता हूं
ना सर्दी,ना गर्मी,ना बरसात
यहाँ तो लोग छोड़ जाते
हर इक अपने मतलब
के बाद।
कहता हैं अलाव बेहद सताती है
दुनिया,ठंडी होती है
जब दिल की आग तो फिर
जलाती हैं दुनिया।
मैं कहता हूं
नहीं नहीं दो दिलों में जली
इश्क,मुहब्बत और प्यार की आग को
बुझाती है दुनिया।
कहता हैं तन्हा अलाव
वो उनकी यादें,वो उनका साथ
मुझे अक्सर याद आता है और अक्सर
तन्हाई में चुपके से रुलाता है।
मैं कहता हूं
हाँ हाँ आते तो हैं उनके ख्याल
पर ना वे मुझे सताते है ना रुलाते है
वे तो अजनबी की तरह दिल के दरवाजे
से ही लौट जाते है।
सुनसान घर के सुनसान कमरे में
करते है बातें।
कभी वफा की तो कभी बेवफाई की
दो तन्हा लोग
इक मैं और इक मेरा अलाव।
....................-
न जानूं कौन हूँ मै,
मै न जानूं कौन हूं मैं
लोग कहते हैं सबसे जुदा हूं मैं
मैंने तो प्यार सबसे किया
पर न जाने कितनों ने धोखा दिया।
चलते-चलते कितने ही अच्छे मिले,
जिनको बहुत प्यार दिया,
पर कुछ लोग समझ ना सके,
फिर भी मैंने सबसे प्यार किया।
दोस्तों की खुशी से ही खुशी है,
तेरे गम से हम दुखी है,
तुम हंसो तो खुश हो जाऊंगा।
तेरी आंखों में आंसू हो तो मनाऊँगा।
मेरे सपने बहुत बड़े हैं
पर अकेले हैं हम, अकेले हैं,
फिर भी चलता रहूंगा
मंजिल को पाकर रहूँगा।
ये दुनिया बदल जाए कितनी भी,
पर मैं न बदलूंगा,
जो बदल गये वो दोस्त थे मेरे
पर कोई न पास है मेरे।
प्यार होता तो क्या बात होती
कोई न कोई तो होगी कहीं न कहीं
शायद तुम से अच्छी या
कोई नहीं इस दुनिया में तुम्हारे जैसी।
आसमान को देखा है मैंने, मुझे जाना वहां है
जमीन पर चलना नहीं, मुझे जाना वहां है,
पता है गिरकर टूट जाऊँगा, फिर उठने का विश्वास है
मैं अलग बनकर दिखाऊँगा।
पता नहीं ये रास्ते ले जाएं कहां,
न जाने खत्म हो जाएं, किस पल कहां,
फिर भी तुम सब के दिलों में जिंदा रहूंगा,
यादों में सब की, याद आता रहूंगा।
................-

......................
कभी अलविदा न कहना
कभी याद आये तो, इक बार कहना
कभी सागर बनके इन आंखों से बहना
पर कभी किसी भी हाल में तुम
अलविदा न कहना।
तुम साथ रहो या जुदा रहो हर वक्त
मुझे याद करना, खुशी मिले या गम
मिले तुम्हें। पर कभी मुझसे
अलविदा न कहना
गुजरे पल जो साथ हमारे, याद उन्हें तुम
करना, लाख करे दुनिया रुसवाई, दिल में
ही हमको रखना। कभी भी हो यार पर
कभी अलविदा न कहना।
बिजली चमके या तूफां आये, हौसला तुम
रखना गर टूट जाओ जो तुम खुद से ही
तो सिर्फ आंख बंद बस करना, पर कभी
यार तुम अलविदा न कहना।
पूछे गर मेरे आंसू तो, उनको कुछ मत कहना
सवाल करें जब आंसू ही तेरे, ता मुझे
बेवफा कहना। कितना ही दूर रहँ मैं पर
कभी अलविदा न कहना।
टूट जाये जो सांस तुम्हारी, आस मुझ पर
रखना, सूख जाये जो लव तुम्हारे तो
बस सागर कहना। मर कर भी यार
तुम कभी अलविदा न कहना।
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एक लड़की मुझे सताती है
अंधेरी सी रात में एक खिड़की
डगमगाती है
सच बताऊँ यारों, एक लड़की
मुझे सताती है।
भोली भाली सूरत उसकी
मखमली सी पलकें है
हल्की इस रोशनी में, मुझे
देख शर्माती है
सच बताऊँ यारों, इक लड़की
मुझे सताती है
बिखरी-बिखरी जुल्फें उसकी
शायद घटा बुलाती है, उसके
आंखों के काजल से बारिश
भी हो जाती है
दूर खड़ी वो खिड़की पर
मुझे देख मुस्कुराती है।
सच बताऊँ यारों, इक लड़की
मुझे सताती है
उसकी पायल की छम-छम से
एक मदहोशी सी छा जाती है
ज्यों की आंख बंद करुं मैं
तो, सामने वो जाती है
सच बताऊँ यारों, इक
लड़की मुझे सताती है
अंधेरी सी रात में एक खिड़की
डगमगाती है
ज्यों ही आंख खोलता हँ
मैं तो ख्वाब वो बन जाती है
रोज रात को इसी तरह
इक लड़की मुझे सताती है।
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एक भोली सी गाय।
रोज सुबह खड़ी-खड़ी रंभाती है।
ऊँचे दरवाजों पर, नहीं चीर
पाती उसकी आवाज
बजते अश्लील संगीतों को।
थक हार कर लड़खड़ाते
कदमों से खोजती है
पेड़ों को, हरियाली को
बहती नदियों को।
पर नहीं मिलता उसको
ऐसा कोई निशां
पूछती है पता
कभी रोकर, तो कभी
रंभाकर
ढूंढती है उन रास्तों को
जो जाते हो उसके गांव
की ओर।
कोसती है
उस दिन को जब
बेचा गया था दलालों के
हाथ उसको।
याद करती है
गाँव में गुजरे, वे सुखद
पल।
पर नहीं मिले वे सुख
यहां, न ही मिले वे सुख
यहां, न ही मिलने
की आस है
रोज सुबह खड़ी-खड़ी रंभाती है
ऊँचे दरवाजों पर,
एक प्यारी, भोली-सी गाय।
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बापू तेरे प्यार में.
बापू तेरे प्यार में बहता था संसार
सत्य अहिंसा और धर्म का लगा था अंबार
लेकिन वो दिन लद गये
आज उनमें नेता बस गये।
बापू मेरे दुखी मत होना, ये तो रीत पुरानी हैं
किया भला जिसने उसने ही बुराई पाई है।
मेरी सदा यह याद रखना
अब ना होगा गाँधी ,
न नेहरू के दिन आयेंगे
अब तो वे दिन आये है
जब लालू ही पूजे जायेंगे।
दोष नहीं देता मैं बापू तुमको,
ये तो आपकी भलमनसाहत थी
तब भी भारत आपका था ,
आज भी आपकी अमानत हैं।
बापू तेरे कदमों में बिछता था, संसार
बुरा बोलना, बुरा देखना ,बुरा सुनना
था सब बेकार ।
अब उसूल बदल चुके हैं,
सब पश्चिम में ढल चुके हैं
बापू मेरे दुखी मत होना , ये तो रीत पुरानी हैं
पानी हुआ पुराना हैं सारी दुनिया शराब की दीवानी है।
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परिचय
संजय सेन सागर
जन्म 10 जुलाई 1988 म.प्र सागर
उपलब्धि
संजय सेन सागर की कहानी इक अजनबी को ब्राइटनेस पब्लिकेशन ऑफ दिल्ली की तरफ से राइस ऑफ राइटर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
यंग राइटर्स फाउंण्डेशन ऑफ इंडिया गुप्र के सदस्य
संपर्क:
ड़ाँ निशीकांत तिवारी के पीछे, आदर्श नगर ,मकरोनियाँ चौराहा, सागर
मध्यप्रदेश पिन 470004