Sunday, March 9, 2008

हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की और अधिक जानकारी के लिए !







डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर

डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर की स्थापना डॉ सर हरीसिंह गौर ने सन् 1946 में की थी !डॉ हरिसिंह गौर को इस विश्वविद्यालय की स्थापना करने मैं कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था !सागर विश्वविद्यालय की नींव डॉ हरिसिंह गौर ने अपनी जिंदगी की सारी आय को व्यय करकर रखी थी ! यह भारत का सबसे प्राचीन तथा बड़ा विश्वविद्यालय कहलाया जाता है ! जब डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर की स्थापना की गई तब डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय भारत का 18वां विश्वविद्यालय था! इस स्थापना के साथ ही डॉ गौर का सपना साकार हुआ! डॉ हरीसिंह गौर का जन्म 26 नवंबर 1870 को सागर के शनीचरी टौरी में हुआ था! उनके पिता ठाकुर तखतसिंह पुलिस सेवा से वास्ता रखते थे !

सागर में मिडल स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वे नागपुर चले गए। मैट्रिक में उन्होंने सारे प्रांत में प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद वे फ्रीचर्च इंस्टीटयूट के छात्र रहे. सन् 1889 में वकालत की शिक्षा के लिए वे यूरोप चले गए. यूरोप पहुच कर डाउनिंग कॉलेज में प्रवेश लेने के बाद उन्होंने सन् 1891 में दर्शन और अर्थशास्त्र में स्नातक और 1892 में कानून की उपाधि प्राप्त की। योरप में वे एक विधिवेत्ता और कवि के रूप में चर्चित हुए और उन्हें रॉयल सोसायटी का सदस्य चुना गया. सन् 1905 में डॉ गौर ने लंदन में डीलिट की उपाधि प्राप्त की. शीघ्र ही उन्‍होंने ख्‍याति अर्जित करना शुरु कर दिया.

डॉ गौर ने जिंदगी भर संघर्ष किया और अपनी जिंदगी को औरों की सेवा मैं लगाना ही बेहतर समझा !उन्होने अपने जीवन के अन्तिम पडाब मैं अपनी जिंदगी की सारी कहानी को पन्नों पर उतरा और फिर यही से उन्हें विचार आया डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की नीब रखने का ।जिसमे उन्होने अपनी जीवन की सारी कमाई करीब १ करोड़ ९५ लाख रुपए को इस महान कार्ये मैं खर्च किया ! जिसकी बदोलत ही आज न केबल सागर बल्कि दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और छिंदवाड़ा जैसे जगहों से पढने वालों का तादाद मैं भी काफी इजाफा हुआ है ,साथ ही साथ बे गरीब जो महंगी शिक्षा प्राप्त करने बहार नहीं जा सखते उन्हें बही शिक्षा सागर मैं उपलब्ध कराकर डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर एक महान कार्ये कर रहा है !


सम्पूर्ण बुंदेलखंड की पहल पर अब सागर को केन्द्रिये दर्जे की मांग की जा रही है जिश्मे सम्पूर्ण बुंदेलखंड ने एकता का परिचय दिया है और अब हम्हे भी जरूरत है की हम भी मिलकर इस मांग को मजबूती के साथ प्रदर्शित करे !


तो बताइए की हमारे डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय को क्यों

दिया जाना चाहिए है सम्मान ।क्या है इसकी विशेषता और अगर आप चाहते हैं की आपके विश्वविद्यालय मैं किसी भी तरह का सुधार हो तो आखिर क्या है बे समस्या !

अपने विचारों को नीचे लिखे कमेंट्स बॉक्स मैं अपने नाम के साथ टाइप कर दीजिये !आप और हम मिलकर ही रचंगे एक नया इतिहास !

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हमारा सपना पूरा होगा !

सागर विश्वविद्यालय को लेकर हमेशा से ही दिल मैं कुछ ख़ास था ,मैं हर वक्त गौर विश्वविद्यालय मैं पढने के बारे मैं ही सोचा करता था मैंने सोचा था की सागर यू .टी .डी के लिए कुछ नए रूप मैं सहयोग करना है !इसी सोच ने मुझे यह ब्लॉग बनाने के लिए प्रेरित किया !चुकि यह भारत का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है और यंहा पर एक नया ही अनुभव प्राप्त होता है ! डॉ गौर न जो सपना था उन्होंने बड़ी ही सिद्दत से उसे मुकाम तक पहुँचाया है ! अब एक सपना सम्पूर्ण बुंदेलखंड ने देखा है ! सम्पूर्ण बुंदेलखंड की पहल पर अब सागर को केन्द्रिये दर्जे की मांग की जा रही जो लाखों लोगों के दिलों से जुड़ी हुई है ! इस अभियान के तहत जिस प्रकार सम्पूर्ण बुंदेलखंड ने एकता का परिचय दिया बह काबिले तारीफ है !
डॉ गौर के अपना सपूर्ण जीवन हमारे हित के लिया समर्पित कर दिया तो क्या हम चंद पल उनके नाम नही कर सकते ! मेरा और सम्पूर्ण बुंदेलखंड का यह सपना बहुत जल्द ही पूरा होगा और हम सागर की पहचान को डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के नाम पर मजबूत कर पाने मैं सफल हो पाएंगे !
संजय सेन सागर , ब्लोगर ऑफ़ यादों की किताब

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सागर की शान है,गौर विश्वविद्यालय
मैंने जब से होश संभाला है तब ही से सुनते आया हूँ की डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के सागरवासियों पर क्या अहसान है ,डॉ गौर ने हम्हे एक ऐसा अनमोल तोहफा दिया है जो हर जीवन को एक नया प्रकाश देने का प्रयाश करता है ! डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय ने इतने वषों मैं जिस तरह से सागर का नाम सम्पूर्ण विश्व मैं ऊँचा किया है बह काबिले तारीफ है ! और अब डॉ गौर के सपने के बाद अब जरूरत है हमहे अपना सपना पूरा करने की यानि की डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर को केन्द्र्य दर्जा दिलाने की !डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर किसी भी तरह से बिबाद का विषय न होकर ज्ञान का विषय है इशे राजनीती की नजरों से न देखते हुए ज्ञान की नीति बनाकर देखा जन चाहिए फिर देखिये ही इसे कौन केन्द्रया दर्जे से दूर कर सकता है डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर को यह उपाधि बहुत जल्द मिलेगी !
संतोष जैन स्टील ,प्रदेश अध्यक्ष , युवा शक्ति संगठन