इश्क मैं इल्जाम उठाना जरुरी है !
सफ़र के बाद अफ़साने ज़रूरी हैं ना भूल पाए वो दीवाने ज़रूरी हैं
जिन आँखों में हँसी का धोखा हो उन के मोती चुराने ज़रूरी हैं
माना के तबाह किया उसने मुझे , मगर रिश्ते निबाहने ज़रूरी हैं
ज़ख़्म दिल के नासूर ना बन जाए मरहम इन पे लगाने ज़रूरी हैं
माना वो ज़िंदगी हैं मेरी लेकिन , पर दूर रहने के बहाने ज़रूरी हैं
इश्क़ बंदगी भी हो जाए, कम हैं, इश्क़ में इल्ज़ाम उठाने ज़रूरी हैं
महफ़िल में रंग ज़माने के लिए , दर्द के गीत गुन-गुनाने ज़रूरी है
रात रोशन हुई जिनसे ,सारी , सुबह वो चिराग बुझाने ज़रूरी
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जिन्दगी मौत और हम ।
जिन्दगी में क्या है तन्हा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है बेवजह ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है बिखरा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है अपना ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है बुरा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है उलझा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
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कुछ पन्नों को छोड के अब
कुछ पन्नों को छोड के अब मुझको लिखना होगा ।
यंकी है मुझको , तुमको जा के फिर वापस आना होगा ।।
आयेगा जब जाकर के तू , आयेगा जब जाकर के तू ,
कितना कुछ होगा जो , तुझको मुझसे केहना होगा ।
लिख लुँगा मैं अपनी बातें पन्नों पर ही सारी ,
आकर तुझको मेरी बातें पन्नों से ही सुनना होगा ।
तुझ बिन जीवन , जान बिना कैसे बीता ,
मुझको जीना और तुझको बस सुनना होगा ।
साथ रहे बरसों हम , अब दूर भी रह कर देंखें ,
दूरी आने से रिश्ता ये , गहरा और गहरा होगा ।
छुटे हुए पन्नों की बातें पास तुम्हारे जा बैठी है ,
आते में लेते आना ,पन्नों पे फिर लिखना होगा ।
hemjyotsana
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