Saturday, March 8, 2008

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आज भी पलक जब झपके




आज भी पलक जब झपके
आए सामने तेरा चेहरा
तुम क्या गई हो ज़िंदगी से
हो गया हूँ और भी तनहा
तुम्हारी वो हँसी


अब भी याद आती है
वो पहली मुलाकात
मुस्कान छोड़ जाती है !
तुम्हारी बातों के वाना
दिल में अब तक मचला करते हैं
क्यों दिल की बात न कह सके
अपने आप से शिकायत करते हैं !
बेवफाई का दाग तुम्हे देके
अपने आप को बचाना चाहते हैं
लफ्जों के बानों से हा
ममोहोब्बत इन्तेहा जताना चाहतें हैं !




दीपक जोक की रचना






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करता हूँ में सिर्फ़ तुमसे प्यार




तेरी याद जब आती है

याद आती है तेरी बेवफाई

तुने दिए जो मुझको आंसू

याद आता तेरा वह प्यारा

जो खो गया कहीं दूर

चाह जिसे जान से भी ज्यादा

याद आया न उसको कोई वादा

वो तेरी तस्वीर को मेरा निहारना
पर अब आंखो में सिर्फ़ नफरत उभरना
अब नहीं करता हूँ मैं तुझसे प्यारा
नहीं बन न चाहता हूँ मैं तेरा यारा
पर क्या इसकी इजाज़त देता है मुझे मेरा प्यार ?

करूं में क्या ?

करता हूँ में सिर्फ़ तुमसे प्यार !



दीपक जोक

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