कहानी प्रतियोगिता 2008
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जब कोई होता है हमसे दूर , तो रह जाते है बस अहसास जिसे कहते है यादों की किताब !!
रात भर आँसू से जो लिखी गई ,
सुबह उस कहानी का
सौदा हुआ !
आरजू का आरजू से रिश्ता ही क्या ,
तुम किसी के हुए मैं किसी का हुआ !
देखिये कब कोई पढने वाला मिले ,
मैं हूँ अपने ही बजूद पर लिखा हुआ ,
प्यार का वो सफर हूँ जिसको 'सागर '
एक ही बादल
मिला
वो भी बरसा हुआ !
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वो शाम फिर आ गई
जो तेरी याद दिलाती है
जो ढलते सूरज के साथ
तेरे अहसास की रौशनी लाती है
दूर हिमालय पर जब
सूरज धरती की गोद मैं समां जाता हैं
अहसास तेरा दिल को चुराकर
मेरे रोम रोम मैं समां जाता है
तू नही हैं अब
जानता हूँ पर मान न सका कभी
पल पल तू याद आती है
तुझे न भुला सका कभी
रोज आती है वो शाम
दिल पर दस्तक देती हैं
गम के बदल घिर आते है फिर
और तेरी याद आंसू बनकर बह जाती है !
इश्क मैं इल्जाम उठाना जरुरी है !
सफ़र के बाद अफ़साने ज़रूरी हैं ना भूल पाए वो दीवाने ज़रूरी हैं
जिन आँखों में हँसी का धोखा हो उन के मोती चुराने ज़रूरी हैं
माना के तबाह किया उसने मुझे , मगर रिश्ते निबाहने ज़रूरी हैं
ज़ख़्म दिल के नासूर ना बन जाए मरहम इन पे लगाने ज़रूरी हैं
माना वो ज़िंदगी हैं मेरी लेकिन , पर दूर रहने के बहाने ज़रूरी हैं
इश्क़ बंदगी भी हो जाए, कम हैं, इश्क़ में इल्ज़ाम उठाने ज़रूरी हैं
महफ़िल में रंग ज़माने के लिए , दर्द के गीत गुन-गुनाने ज़रूरी है
रात रोशन हुई जिनसे ,सारी , सुबह वो चिराग बुझाने ज़रूरी
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जिन्दगी मौत और हम ।
जिन्दगी में क्या है तन्हा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है बेवजह ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है बिखरा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है अपना ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है बुरा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
दुनिया में क्या है उलझा ,
जिन्दगी मौत और हम ।
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कुछ पन्नों को छोड के अब
कुछ पन्नों को छोड के अब मुझको लिखना होगा ।
यंकी है मुझको , तुमको जा के फिर वापस आना होगा ।।
आयेगा जब जाकर के तू , आयेगा जब जाकर के तू ,
कितना कुछ होगा जो , तुझको मुझसे केहना होगा ।
लिख लुँगा मैं अपनी बातें पन्नों पर ही सारी ,
आकर तुझको मेरी बातें पन्नों से ही सुनना होगा ।
तुझ बिन जीवन , जान बिना कैसे बीता ,
मुझको जीना और तुझको बस सुनना होगा ।
साथ रहे बरसों हम , अब दूर भी रह कर देंखें ,
दूरी आने से रिश्ता ये , गहरा और गहरा होगा ।
छुटे हुए पन्नों की बातें पास तुम्हारे जा बैठी है ,
आते में लेते आना ,पन्नों पे फिर लिखना होगा ।
hemjyotsana
इनकी और अधिक ग़ज़ल और कविता के लिए
।। ग़ज़ल ।।
ख़यालों का आइना
सूर्ख़ उन्वां लिए मिला काग़ज़
ख़ून से तर-ब-तर हुआ काग़ज़
दूर परदेस में था वो लेकिन
बन गया उसका राबता काग़ज़
जब न कह पाए कुछ लबे ख़ामोश
उसकी नज़रों ने फिर लिखा काग़ज़
मेरे आँगन में आके पुरवाई
ले उड़ी मेरे गीत का काग़ज़
अक्स हर सोच का पड़ा उस पर
है ख़यालों का आइना काग़ज़
बर्फ के टीले आग की दरिया
नाव काग़ज़ की नाख़ुदा काग़ज़
ज़िंदगी भर रहा कोई प्यासा
'शेरी' कोरा ही रह गया काग़ज़ !!
ज़िंदगी का निचोड़
यूँ तो हर शाम पे इक मोड़ मिला
दिल किसी से मगर न जोड़ मिला
ऐ ग़मे-यार ! हम तेरी ख़ातिर
छोड़ आये उसे, जो छोड़ मिला
हार थक कर ख़ुदा को मान लिया
मौत का जब न कोई तोड़ मिला
माँगने का भी है एक मेयार
लाख चाहा, मगर करोड़ मिला
दुश्मनों की कमी नहीं है 'ख़याल'
ज़िंदगी का यही निचोड़ मिला !
अपना घर आया
दूर से दरिया समन्दर सा लगा
जब करीब आया तो क़तरा सा लगा
ढूँढता फिरता था जो औरों के दाग़,
उसका ख़ुद किरदार मैला सा लगा
इस कदर मसरूफ़ राहों में रहे
अपना घर आया तो मंज़िल सा लगा
खुश्बुओं की क्या किसी से दुश्मनी
छू गईं जिसको वो महका सा लगा
कितनी पाक़ीज़ा ज़ुबां उसको मिली
झूठ भी बोला तो सच्चा सा लगा
वो हमारे शहर का सुकरात था
विष का प्याला जिसको अमृत सा लगा
तुम न थे तो पत्थरों का ढेर था
आ गए तुम तो ये घर, घर सा लगा
किसको हाले दिल सुनाते हम 'नवीन',
जो मिला, ग़म उसका अपना सा लगा !
रंग-बिरंगे लोग
कितने रंग-बिरंगे लोग
मोटे-ताज़े-चंगे लोग
झूठ-घृणा का ज़हर वमन कर
करवाते नित दंगे लोग
क्या थे क्या आज हुए क्या
बेशऊर बेढंगे लोग
बन वज़ीर कुर्सी पर बैठे
लुच्चे और लफ़ंगे लोग
किसको फुर्सत सोचे उनकी
जो हैं भूखे-नंगे लोग
जाने राम कौन-सी मंशा
खोदें रोज़ सुरंगे लोग