Tuesday, February 26, 2008


















खेत उदास हैं

चिड़िया उदास है -
जंगल के खालीपन पर
बच्चे उदास हैं -
भव्य अट्टालिकाओं के
खिड़की-दरवाज़ों में कील की तरह
ठुकी चिड़िया की उदासी पर

खेत उदास हैं -
भरपूर फसल के बाद भी
सिर पर तसला रखे हरिया
चढ़-उतर रहा है एक-एक सीढ़ी
ऊँची उठती दीवार पर

लड़की उदास है -
कब तक छिपाकर रखेगी जन्मतिथि

किराये के हाथ
लिख रहे हैं दीवारों पर
'उदास होना
भारतीयता के खिलाफ़ है !'
---------------------------------







एक असंवैधानिक कविता

हमें चाहिए अपने हिस्से की स्वतंत्रता
हमें चाहिए अपने हिस्से की समानता
उससे पेशतर विश्व में मनुष्यता में
कि हमें चाहिए अपने हिस्से का सुख
हमें चाहिए अपने हिस्से का जीवन
महाजीवन में
मालूम है हमें
कि भद्रजनों आदी नहीं हैं आप
ऐसे सत्र से
हाँ, कविता नहीं है
हमारे संघर्ष का घोषणा-

------------------------------------------





ज़िदंगी में सपने कौन नहीं देखता...और फिर उन्‍हीं सपनों को सच करना एक ख्‍वाब से बढ़कर कुछ नहीं होता, तब तक जब तक कोई आपको प्रोत्‍साहित नहीं करता। जी हाँ, मैं दोस्‍तों की बात कर रही हूँ. मैंने एक सपना देखा है अपनी कविता की एक किताब...जो के मैं अपने मित्रों और निकटजनों की सहायता से और आप सभी साथियों के आशि॔वाद से नये साल की फरवरी महीने की चौदह तारिख तक पबलिश करने का प्रयत्‍न कर रही हूँ. आशा है मुझे आप सभी का सहयोग प्राप्‍त होगा...


ज़िंदगी में एक ख्‍वाब


मैंने भी बुना है


मन ही मन कुछ सिला


है पुरे होने की आरजू़ है


लेकिन साथ मेरा कोई दे॥!?!


इसी की आकाँशा है!


दोस्‍तों का साथ हो बडों का आशि॔वाद हो !


मेरे सपनों की बुनी एक किताब


कहो! है न मेरे सर पर आपका हाथ?


No comments: