Monday, March 3, 2008


अहसास
सब कुछ तो खो गया है, क्या पास रह गया है
तुम साथ हो, यह झूठा अहसास रह गया है
फिर से कभी मिलेंगे दिल तोड़कर गये जो
तो नहीं पर विश्वास रह गया है
उनका भी दोष क्या हम थे न उनके काबिल
सोचकर हमारा सब रंज बह गया है
हाथों से फिसले लम्हे, फिर किसको मिल सके हैं
जाती हवा का झोंका,चुपके से कह गया है।

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