Friday, March 7, 2008


जब से देखा तुम्हें इक नशा सा हो गया है मुझे,
न जाने आजकल यह क्या हो गया है मुझे
ह्ल्की सी आहट सुन दिल कह्ता है कि तू आई है
एक अजीब मगर खूबसूरत सा धोखा हो गया है मुझे
न जाने ....
हर फूल में नजर आता ह बस तुम्हारा ही चेहरा
तितलिंयों और भंवरो से शिकवा हो गया है मुझे
न जाने ...
मेरी रातें गुजरती हैं आजकल करवटें बदलते हुए
चांद तारों से ही अब तो वास्ता हो गया है मुझे
न जाने ....
बहुत परेशां था गम ए जिन्दगी से अब तके
तेरे प्यार की आस में होसला हो गया है मुझेन जाने ......

--------------------------------------------------------------


!गजल !


पोटली उम्मीदो की यू॑ ही उठाये रखिये !

इतनी रखी है थोडी ऒर बनाये रखिये !!

तेज हवाओ मे बुझ ना जाये कही

दिये को, ओट के सहारे रखिये !!

प्यार ने ही कोख से जना है दर्द को !

इसे भी सीने से लगाये रखिये !!

कद से भी बडे ना हो जाये कही !

अपनी हदो मे ही अपने साये रखिये !!

ना आत्मा, ना भाव, पर कविता कहेगे बहाये रखिये !!

------------------------------------------------------------

No comments: